एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मंडी सूरत को टेक्सटाइल सिटी कहते हैं।
अमीर शहरों में से एक सूरत शहर अपनी जीवंत अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है। कपड़ा, हीरे और पेट्रोकेमिकल, फार्मा जैसे कई उद्योगों का केंद्र है।
सूरत मुख्य रूप से सिंथेटिक कपड़ा उत्पादों में साड़ी के लिए जाना जाता है। . सूरत में प्रतिदिन लगभग 3.5 करोड़ मीटर कच्चा कपड़ा प्रोसेस कर तैयार किया जाता है।
शहर में करीब 200 टेक्सटाइल मार्केट हैं। एक मार्केट में 500 से लेकर 5000 तक टेक्सटाइल व्यापार से संबंधित दुकान ऑफिस इत्यादि हैं।
फिलहाल 350 से ज्यादा कपड़ा मिलें चल रही है। मंदी के चलते पिछले एक दशक में करीब 100 मिले कम हो गई। इसके अलावा करीब डेढ़ लाख यूनिट्स में 6 लाख लूम्स मशीनें हैं।
350 डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट, 1 लाख एम्ब्रॉयडरी यूनिट हैं। यहां पर 12 घंटे तक कारखानों में काम होता है।
80-90 के दशक में 100 कपड़ा मिलें थीं।
60-70 के दशक में केवल 4-5 टेक्सटाइल मार्केट। आज ढाई सौ से टेक्सटाइल मार्केट। एक लाख दुकानें। 70 हजार से ज्यादा व्यापारी व उद्यमी।
100 साल से ज्यादा पुराना कपड़ा उद्योग है। शुरुआत जरी उद्योग से हुई थी, जो धीरे-धीरे सिंथेटिक कपड़ा उद्योग में बदल गया। अब नई टेक्नोलॉजी का उपयोग होकर मैन मेड फाइबर और रेडीमेड के लिए चर्चित हो रहा है। डिफेंस के लिए अभी कपड़े बना रहे हैं। कोरोना के दौरान पीपीई किट चीन सहित विदेशों को सूरत से निर्यात की गई। कहीं नए कपड़ों और फैब्रिक पर रिसर्च हो रही है।
वर्ष 2000 के बाद तकनीक का इस्तेमाल अधिक होने लगा। कपड़े में एम्ब्रायडरी, वाटरजेट, रेपियर, डिजिटल मशीन का खूब उपयोग।
गारमेंट्स, टेक्निकल टेक्सटाइल, चाइना फेब्रिक्स का विकल्प। मंडप, शामियाना, डेकोर व इवेंट कपड़ा।
सहायक उद्योग में ट्रांसपोर्ट, प्रिंटिंग, मशीनरी आइटम्स (दो दर्जन से ज्यादा), यार्न, कलर-केमिकल, लोजेस्टिक लेबर, सिक्युरिटी, कोल, कंस्ट्रक्शन समेत अन्य कई शामिल |
देशभर के प्रवासियों की संख्या 25 से 30 लाख है। जिनमें सर्वाधिक करीब 12 लाख राजस्थानी और 8 लाख यूपी बिहार व शेष अन्य राज्यों से हैं।
सूरत समेत दक्षिण गुजरात में 25 लाख रोजगार।
सूरत शहर के विकास में परप्रांतियों राजस्थान, यूपी, बिहार , ओडिशा, एमपी, महाराष्ट्र का महत्वपूर्ण योगदान है।
सूरत की अर्थव्यवस्था में रीढ़ माने जाने वाले कपड़ा और हीरा उद्योग में 15 लाख से अधिक श्रमिक अन्य राज्यों के कार्यरत हैं।
दिवाली एवं अन्य त्योहारों के दौरान अन्य राज्यों के श्रमिक वतन जाते हैं तब उत्पादन पर असर दिखने लगता है।
सूरत के कपड़ा उद्योग का वार्षिक टर्नओवर करीब एक लाख करोड़ रुपए है।
One thought on “टेक्सटाइल जगत : गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत”
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