कपड़े से पहले सूरत की पहचान जरी उद्योग से थी। घर-घर मशीनें थीं और लोग हाथ से मशीन चलाकर जरी के बॉर्डर बनाया करते थे। इस काम में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा थी। उस वक्त सोने और चांदी के तार से जरी तैयार होती थी, जिसकी दूसरे देशों में बड़ी मांग थी। बाद में जरी उद्योग धीरे-धीरे सिमटता गया और टैक्सटाइल उद्योग शहर की नई पहचान के रूप में विकसित हुआ।